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एन. रघुरामन, मैनेजमेंट गुरु [raghu@dbcorp.in]
क रीब 20 वर्ष पहले देर तक बैठे रहने, खराब कुर्सी या पॉश्चर के कारण हुआ कमरदर्द काम पर न जाने का मुख्य कारण होता था। आज तनाव, चिंता (एंग्जायटी) और अवसाद हैं। महामारी में ये बढ़े हैं। हम टेक्नोलॉजी के प्रेम में पड़े क्योंकि इससे सबसे जुड़े रहने में मदद मिली। लेकिन इसने उस स्थिति में धकेल दिया, जहां डिजिटल युग में हम हर मिनट ढेरों जानकारियां समझने में लगे हैं। इसलिए दिमाग हर समय चौकन्ना रहता है। सवाल यह है कि हमें कौन-सी अच्छी-बुरी आदतों पर ध्यान देने की जरूरत है। ये रही जरूरी सूची-
1. क्या आप हर मीटिंग में शामिल होते हैं?: कई लोगों को ऑफिस की हर मीटिंग में शामिल होना अच्छा लगता है क्योंकि वे सहकर्मियों को अपना महत्व दिखाना चाहते हैं। याद रखें, मीटिंग में शामिल होना बॉस के लिए प्रतिबद्धता नहीं दिखाता। दरअसल जिन लोगों की नौकरी असुरक्षित होती है या जिनमें असुरक्षा का भाव होता है, वे हर मीटिंग में जाने का प्रयास करते हैं। जबकि इससे वास्तविक काम के लिए कम समय मिलता है। याद रखें कि आपके बारे में राय आपके काम से बनेगी, आपकी मीटिंग की संख्या से नहीं।
2. क्या आप डेस्क पर खाना खाते हैं?: अपने बॉस को वर्कर्स कैंटीन में लंच करते देखिए। वे अपना दिमाग काम की टेबल से हटा रहे हैं क्योंकि वे जबसे आए हैं बेहद सजग रहे हैं। गंभीर तनाव का जोखिम खत्म करने के लिए वे दिमाग को फिर शांत होने का मौका देते हैं। आप अगर डेस्क पर खाते हैं तो लंच में ब्रेक लेने के बारे में सोचें।
3. क्या आपको ऑफिस का नया शिष्टाचार पता है?: परिवार को यह न समझाएं कि आप क्यों देर तक काम करते हैं। इसका कोई प्रमाण नहीं है कि ज्यादा देर काम करने से आप ज्यादा नतीजे देते हैं। स्क्रीन को घूरते रहना आपको गंभीर बॉस नहीं बनाएगा। इससे थकान बढ़ेगी और आपको नेत्र विशेषज्ञ पर खर्च करना होगा। अगर आप घंटों डेस्क से नहीं हिलेंगे तो आपकी शारीरिक बनावट और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा और आप संस्थान के लिए कम उपयोगी हो जाएंगे। आप यदि बगल में बैठे व्यक्ति से भी डिजीटली संवाद करने लगे हैं तो स्थिति बुरी होने वाली है। साथ ही बड़े लोग ऑफिस आते ही अपने ईमेल चेक नहीं करते।
4. क्या आप ऑफिस के बाद जिम या दौड़ने जाते हैं?: बड़े और अमीर लोग यही करते हैं। अगर आपने दिनभर तनाव में काम किया है तो यह तनाव घर पहुंचने के बाद भी बना रहेगा। वास्तव में दिमाग ऑफिस से निकला ही नहीं। जब तक दिमाग इसके बारे में सोचना बंद नहीं करेगा, शरीर आराम नहीं कर सकता। आपका बीपी बढ़ा रहेगा, तनाव के हार्मोन बढ़ते रहेंगे। आपको सर्किट ब्रेकर की जरूरत है। दौड़ना, कॉमेडी शो देखना, मजेदार किताब पढ़ना और जिम जाना सर्किट ब्रेकर का काम कर सकता है।
5. क्या आप जानते हैं नकारात्मक कैसे न हुआ जाए?: तनाव से नकारात्मक सोच आती है। तनावग्रस्त लोग खुद से पूछते हैं, ‘मैं कुछ सही क्यों नहीं कर पाता?’ कुछ गलत होने पर खुद से रचनात्मक सवाल पूछें। विशेषज्ञ यह पूछने की सलाह देते हैं, ‘कैसे? यह कैसे हुआ? इसके पीछे कौन-से घटनाक्रम हैं? क्या करें कि यह दोबारा न हो?’ संक्षेप में ‘क्यों’ आपको शक्तिहीन बनाता है, जबकि ‘कैसे’ कुछ करने का मौका देता है, जो आपके नियंत्रण में है।
फंडा यह है कि तनावमुक्त रहने के लिए, आप कहां काम करते हैं, इसके आधार पर किसी विशेषज्ञ की मदद से खुद के लिए प्रिस्क्रिप्शन (नुस्खा) लिखें क्योंकि तनाव जानलेवा है।
मैनेजमेंट फंडा